Date: 13/10/2005
जुदा जुदा रह कर भी मिलन की उम्मीद बची हैं ,
खफ़ा खफ़ा रह कर भी समझौते की आस बची हैं l
बहुत तड़पाया 'प्यार 'नाम के इस मृगजल ने फिर भी ,
उस ज़हर को फिर से एक बार पिने की प्यास बची हैं ll
Talks with positive and different perspectives
Date: 13/10/2005
जुदा जुदा रह कर भी मिलन की उम्मीद बची हैं ,
खफ़ा खफ़ा रह कर भी समझौते की आस बची हैं l
बहुत तड़पाया 'प्यार 'नाम के इस मृगजल ने फिर भी ,
उस ज़हर को फिर से एक बार पिने की प्यास बची हैं ll
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