Date: 28-Dec-2005
लगता था डूबे हो प्यार की गहराई में , तुम तो उपरके ही पानी में हाथ भीगो के चल दिए!
फ़ायदा नहीं कोई डूबे रहने में इन गहराईओं में बिना तुम्हारे,
जूझ रहा हूँ मै भी साहिल तक पहुँचने को, कारण तो वहीं है: तुम चल दिए!
सजाये थे दिये मैंने रास्ते पर तुम्हारे अनगिनत, उन्हें यूँ ही बुझा कर तुम चल दिये !
मानता था मै बंद हो तुम दिल में मेरे, उसे बेरहमी से यूँ चिर कर, तुम चल दिए!
देना चाहता तो था मै तुम्हे दुनियाभर की मुस्कुराहटें, लेकिन मुझे यूँ रुला कर, तुम चल दिए!
कहना था, जताना था, मुझे देकर तुम्हे , तुम्हीं सा नाज़ुक गुल,
पर उसी को कुचलते आगे, तुम चल दिए!
कितने अरमानो से बुलाया था मैंने अपने आशियाने में,
बेरहम बेवफाई की आग में मुजे यूँ झोंक कर, तुम चल दिए!
मेहफ़िले राज़ नहीं आती, अब मेले भी शमशान से अलग नहीं,
पूछता हूँ ठिकाना इस हवाओँसे जब तुम्हारा, हर बार कम्बख़त एक ही ज़वाब : तुम चल दिए!
पूछना बेकार हैं इस जहाँसे कहाँ हो तुम,
सब जानते है अपनी मनमानी करते हुए, तुम चल दिए!
दिल में दर्द हैं , सहा नहीं जाता क्योंकि ,
आदत जो नहीं थी ऐसे जीने की,
तभी तो आज भी नज़र ढूंढती है तुम्हे पर,
वास्तविकता को कैसे झूठलाऊ की, तुम चल दिए!
धूल झोंकता हूँ दुनिया की आँखों में हँसता चेहरा दिखाकर,
बाकी मुस्कराहट तो तुम्हारे साथ ही चल पड़ी थी जबसे तुम चल दिए!
रात को तेरी याद के आँसू भीगाते है मी सिरहाने को, तब कहीं जाकर नींद आती है,
पर जगा देते है मुझे वही डरावने ख़्वाब, ये याद दिला के की, तुम चल दिए!
लिखता तो था तब भी, तुम्हे प्रेरणा बनाकर मेरी,
मुझे यूँ ही तन्हा छोड़कर, तुम चल दिए!
जीना तो बाकी है सिर्फ उन सुनहरी यादों के सहारे,
दुःख नहीं पर अफ़सोस तो ज़रूर रह जाएगा: तुम चल दिए.
यकीं नहीं होता अपनी इस हालत पे,
अब बस गर्म आह निकलती हैं : तुम चल दिए!
भरोसा भी नहीं करूँगा अब किसी इंसानी पुतले पे कभी क्योंकि ,
ताकत नहीं हैं अब ऐसे और हादसे सहेनेकी जैसे कि : तुम चल दिए!
दोष नहीं हो सकता कुछ भी आपका , वोह तो मैं ही भूल गया था दुनियादारी को,
काम बनते ही चल पड़ते हैं , लोग नयी मंज़िल को, तुम्हे भी जाना था और तुम चल दिए!
फ़िक्र नहीं मुझे मेरे इस हाल की चाहे लोग पागल समजते हो ,
पर, ये दीवाना दुआ माँगेगा खुशहाल रहो तुम, जहाँ भी तुम चल दिए,
पुकारती है मुझे मेरी दूसरी मेहबूबा, कहती है मैं बेवफा नहीं जरा भी,
खींचती हैं मुझे वोह अपनी और ये बता कर की तुम चल दिए!
जाना चाहता हूँ मैं भी उस 'मौत' नाम की हसीना के आगोश में,
बाकी अब काम ही क्या है मेरा इस जहाँ में , जब से तुम चल दिए!