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Aakhari Salaam!

                                                                                                         Date: 08-Oct-2022


चलते रहे हैं , चलते रहना हैं.... 


गिरना - संभालना पर आगे बढ़ते रहना है ,

कभी हम बने सहारे, तुम्हे भी ये काम करना है 

कश्ती को साथ मिलके पार  उतारना  है 

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं.... 


कदम से कदम मिलते जाना है,

जित के परचम लहराते जाना हैं l 

ज़िन्दगी तो बदलाव का दूसरा नाम है ,

नियति को नहीं , अपने आपको बदलते रहना है l 

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ... 


अकेले ही निकल पड़े थे , आज कारवां साथ हैं ,

बोया था गुल कुछ साल पहले, आज ये गुलिस्ताँ साथ है l 

क्या हुआ अगर कही थक-रुक जाना पड़ा,

फिरसे उठ खड़ा होना है l 

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ... 


नयी सोच को अन्तरमन में भर कर,

अंधेरो को हटाना हैं ,

अपनी ज़िम्मेदारियों का वहन  करते हुए ,

गुलज़ार खिलाना हैं... 

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ... 


Zeal  की कमी तो पहले भी नहीं थीं , 

Skill भी डेवलप हो ही जायेगी,

बस, Will को बढ़ाते जाना है,

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ...


बहुत सारे Milestones (मुकामों ) को सर किया हमने,

ऐसा तो है नहीं बस करते करते, कर दिया हमने ?

इसी हौसले को कायम रखते जाना है ,

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ...


थोड़ी परेशानी पड़े अगर, समजना, ये बेवजह नहीं होती ,

कुछ बेहतर बनाएगी ये हमें हरदम ये मानकर,

और झंडे लहराते जाना है ,

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ... 


कभी ठोकरें भी खाई , और कभी ठहाके भी लगाए !

कभी ऐसा भी हुआ की मन भर आये,

गिले शिकवो से ऊपर उठ के मुस्कुराते रहना है,

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ...


याद करना मुझे जब भी कोई ज़रूरत पड़े,

ज़रासा भी हिचकिचाना नहीं है,

कोई छोटी या बड़ी परेशानियों से तिलमिलाना नहीं है,

हम हमसफ़र है ये आखिर मंजिल तक के,

ये भूल जाना नहीं है.

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ...


ऐसे ही मौकों पर मिला करेंगे,

जब भी आसमाँ में तारें झिलमिला करेंगे,

मिलना -बिछड़ना दस्तूर है ये दुनिया का,

मिलते - बिछड़ते जाना है,

चलते रहे हैं , चलते रहना हैं ...


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Magical Life

Welcome to our blog...
You have landed here because you have a desire to upgrade your life to the next level...as an endeavor to contribute to your journey towards upliftment, we are sharing this great workshop designed by a very well-known public speaker and motivational trainer Dr.Sneh Desai totally free...

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Vol:1- એકાંત/एकांत/Ekant_20: Poem: "Feeling of Happiness"©

 Date: 11-Feb-2006, 11:00 am


સામનો થયો જ્યાં તમારો-


હવે સમાવી નથી શકતો ખુશીઓને ,

હવે તો ઈચ્છાઓ પણ ઓછી પડી!

મળી છે આનંદ ની પળો એટલી કે ,

મને તો સ્વર્ગની દુનિયા પણ ઓછી પડી!

વહી રહયા છે અશ્રુ હર્ષના ધોધમાર,

બિચારી આ બે આંખો પણ હવે ઓછી પડી!

નહીં  થાય વર્ણન આ ઉપરાંત મારાથી હવે વિશેષ,

શું કરું? મને આ બારાખડી પણ ઓછી પડી!

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Vol:1- એકાંત/एकांत/Ekant_19: Shayri: "Fariyad"©

 Date: 11-Feb-2006, 03:10 am

हिचकिचाते हुए भी उस के आगे हम दिल को हल्का कर न सके,

पास की तो बात ही छोडो,उस के साथ जीवनपथ पे हम चल न सके!

अब जब  वक़्त आया तो सवाल करता हूँ तुज से ए  ख़ुदा ,

माँगा ही क्या था मैंने जो तुम इतना भी कर न सके?!



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Vol:1- એકાંત/एकांत/Ekant_18: Poem: "Maari Ichchha"©

 Date: 07-Jan-2006

દૂર છું તારાથી, તારા સાયામાં રહેવા ઇચ્છુ છું,

સમાવી લે તારા પાલવમાં એવી અરજી દેવા ઈચ્છુ છું.

સંકોચી દઈશ સમગ્ર મારી દુનિયા તારી એક પલકમાં ,

તારા જલવા તો નહિ માત્ર તારી ઝલક જોવા ઈચ્છું છું.


ડર લાગે છે તારી નારાજગી નો, જે હંમેશા બને છે અસહ્ય,

નારાજ ના થઈશ, હું તો માત્ર નાનકડી મુરાદ બર થવા દેવા ઈચ્છું છું। 

સમય નથી મળી રહ્યો મને જીવવાનો તારી સાથે મન ભરીને,

બસ હવે તારા ખોળામાં મારો ઇન્તકાલ ઈચ્છું છું.


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Vol:1- એકાંત/एकांत/Ekant_17: Poem: "Tum Chal Diye"©

 Date: 28-Dec-2005

लगता था डूबे हो प्यार की गहराई में , तुम तो उपरके ही पानी में हाथ भीगो के चल दिए!

फ़ायदा नहीं कोई डूबे रहने में इन गहराईओं में बिना तुम्हारे,

जूझ रहा हूँ  मै भी साहिल तक पहुँचने को, कारण तो वहीं  है: तुम चल दिए!

सजाये थे दिये  मैंने रास्ते पर तुम्हारे अनगिनत, उन्हें यूँ ही बुझा कर तुम चल दिये !


मानता था मै  बंद हो तुम दिल में मेरे, उसे बेरहमी से यूँ  चिर कर, तुम चल दिए!

देना चाहता तो था मै  तुम्हे दुनियाभर की मुस्कुराहटें, लेकिन मुझे यूँ  रुला कर, तुम चल दिए!


कहना था, जताना था, मुझे देकर तुम्हे , तुम्हीं सा नाज़ुक गुल, 

पर उसी को कुचलते आगे, तुम चल दिए!

कितने अरमानो से बुलाया था मैंने अपने आशियाने में, 

बेरहम बेवफाई की आग में मुजे यूँ  झोंक कर, तुम चल दिए!


मेहफ़िले राज़ नहीं आती, अब मेले भी शमशान से अलग नहीं,

पूछता हूँ ठिकाना इस हवाओँसे जब तुम्हारा, हर बार कम्बख़त एक ही ज़वाब : तुम चल दिए!

पूछना बेकार हैं इस जहाँसे कहाँ  हो तुम,

सब जानते है अपनी मनमानी करते हुए, तुम चल दिए!


दिल में दर्द हैं , सहा नहीं जाता क्योंकि , 

आदत जो नहीं थी ऐसे जीने की,

तभी तो आज भी नज़र ढूंढती है तुम्हे पर, 

वास्तविकता को कैसे झूठलाऊ की, तुम चल दिए!


धूल झोंकता हूँ  दुनिया की आँखों में हँसता चेहरा दिखाकर,

बाकी मुस्कराहट तो तुम्हारे साथ ही चल पड़ी थी जबसे तुम चल दिए!

रात को तेरी याद के आँसू भीगाते है मी सिरहाने को, तब कहीं जाकर नींद आती है,

पर जगा देते है मुझे वही डरावने ख़्वाब, ये याद दिला के की, तुम चल दिए!


लिखता तो था तब भी, तुम्हे प्रेरणा बनाकर मेरी,

मुझे यूँ  ही तन्हा छोड़कर, तुम चल दिए!

जीना तो बाकी है सिर्फ उन सुनहरी यादों के सहारे,

दुःख नहीं पर अफ़सोस तो ज़रूर रह जाएगा: तुम चल दिए. 


यकीं नहीं होता अपनी इस हालत पे, 

अब बस गर्म आह निकलती हैं : तुम चल दिए!

भरोसा भी नहीं करूँगा अब किसी इंसानी पुतले पे कभी क्योंकि ,

ताकत नहीं हैं अब ऐसे और हादसे सहेनेकी जैसे कि : तुम चल दिए!


दोष नहीं हो सकता कुछ भी आपका , वोह तो मैं ही भूल गया था दुनियादारी को,

काम बनते ही चल पड़ते हैं , लोग नयी मंज़िल को, तुम्हे भी जाना था और तुम चल दिए!

फ़िक्र नहीं मुझे मेरे इस हाल की चाहे लोग पागल समजते हो ,

पर, ये दीवाना दुआ माँगेगा खुशहाल रहो तुम, जहाँ भी तुम चल दिए,


पुकारती है मुझे मेरी दूसरी मेहबूबा,  कहती है मैं बेवफा नहीं जरा भी,

खींचती हैं मुझे वोह अपनी और ये बता कर की तुम चल दिए!

जाना चाहता हूँ मैं भी उस 'मौत' नाम की हसीना के आगोश में,

बाकी अब काम ही क्या है मेरा इस जहाँ में , जब से तुम चल दिए!



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Vol:1- એકાંત/एकांत/Ekant_16: Shayri: "Vishwasghat "©

 Date: 10-Nov-2005

બિંદાસ્ત હતો હું વિશ્વાસરૂપી ઉતરડ પર રચાયેલા મારા પ્રેમ પર,

અજાણ હતો કે નીચેના ઘડામાં જ તિરાડો હતી પછી,

ઉતરડ ફસકી પડે તેમાં શી નવાઈ?!

સાંભળ્યું ' તું કે "વિશ્વાસથી ચાલે છે આ દુનિયા",

તમે વિશ્વાસ ના મૂકી, મારા શ્વાસ રોકી દીધા. હવે,

મારી દુનિયા જ અટકી જશે એમાં શી નવાઈ ?!